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लेखनी प्रतियोगिता -11-Feb-2023

सोच (प्रतियोगिता)  


" सोच की शक्ति " 


सब सोच का ही खेल है
जिंदगी रेलमपेल है। 

सोच अगर गंदी है तो 
इज्जत की चिंदी चिंदी है। 

सोच अगर ऊपर है तो 
कार्य तेरा शिखर है। 

जो जैसा सोचता है 
वैसा ही बन जाता है। 

इंसां गर झुका तो 
उठ जाता है और 
मैं में घिरा तो 
पतन में जाता है। 

बंद आँखों के सपने 
आँख खुलते ही बिखर जाते हैं और 
खुली आँखों के सपने 
मेहनत से निखर जाते हैं। 

इंसां गर सोचे तो क्या नहीं कर सकता है, 
किसी के लिए जी सकता है तो किसी के लिए मर सकता है। 

जहां चाह वहां राह होती है पर 
सोए रहें तो मंजिल भी खोती है। 

सोच में हो शिद्दत तो 
मुर्दे को भी जगा सकता है। 
गर भक्ति में हो शक्ति तो 
इंसां ईश्वर को भी पा सकता है। 

अपर्णा  "गौरी"

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7 Comments

Alka jain

14-Feb-2023 12:09 PM

बेहतरीन

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VIJAY POKHARNA "यस"

13-Feb-2023 09:14 PM

बहुत सुंदर

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Gunjan Kamal

13-Feb-2023 12:00 AM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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